
ज़िंदगी के बाद भी ज़िंदगियाँ देंगें: रितेश और जेनेलिया का अंगदान का संकल्प
जब स्टारडम सेवा में बदल जाए, तो असली प्रेरणा जन्म लेती है।
बॉलीवुड के सबसे पसंदीदा और प्यारे जोड़ों में से एक — रितेश देशमुख और जेनेलिया डिसूज़ा — ने हाल ही में ऐसा निर्णय लिया है, जो सिर्फ सराहनीय ही नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना को एक नई दिशा देने वाला है।
इन्होंने मृत्यु के बाद अपने अंग दान करने का संकल्प लिया है, और इस फैसले के जरिए वे लाखों लोगों के जीवन में आशा की एक नई किरण लेकर आए हैं।
एक प्रेरणादायक कदम
एक पब्लिक इवेंट के दौरान रितेश और जेनेलिया ने जब यह घोषणा की कि वे दोनों अंगदान करेंगे, तो सिर्फ तालियाँ ही नहीं बजीं — बल्कि यह खबर सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर वायरल हो गई।
इस जोड़ी ने यह संदेश दिया कि सेलिब्रिटी होना सिर्फ ग्लैमर और शोहरत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका इस्तेमाल सामाजिक बदलाव के लिए भी किया जा सकता है।
जेनेलिया का दिल छू लेने वाला बयान:
🗣️ “अगर हमारे जाने के बाद भी किसी को जीने का एक और मौका मिल सके — तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है।”
यह एक ऐसा वाक्य है जो हर संवेदनशील दिल को झकझोर देता है।
अंगदान की आवश्यकता: एक गंभीर सच्चाई
आज भारत में लाखों लोग ऐसे हैं जो अंग प्रत्यारोपण (transplant) का इंतज़ार कर रहे हैं।
- कोई किडनी की बीमारी से जूझ रहा है
- किसी को दिल की ज़रूरत है
- कोई लीवर ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा में है
- और लाखों लोग अपनी आँखों की रोशनी खो चुके हैं, जिन्हें नेत्रदान की आशा है
इनमें से बहुत से लोग केवल इसलिए अपनी जान गंवा देते हैं क्योंकि समय पर डोनर नहीं मिल पाते।
एक अंगदाता — आठ ज़िंदगियाँ बचा सकता है।
क्यों जरूरी है अंगदान को सामान्य बनाना?
अंगदान अब भी भारत में एक टैबू बना हुआ है।
लोगों में इसके बारे में जानकारी की कमी है, और कई बार धार्मिक या सामाजिक भ्रांतियाँ भी बाधा बनती हैं।
लेकिन जब रितेश और जेनेलिया जैसे लोकप्रिय सितारे इस पर खुलकर बोलते हैं और खुद पहल करते हैं — तो यह करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा बन सकता है।
इनका ये कदम यह दर्शाता है कि असली स्टारडम वही है जो लोगों की भलाई के लिए उपयोग हो।
सोशल मीडिया पर जागरूकता की लहर
इस घोषणा के बाद #OrganDonation, #GiftOfLife जैसे हैशटैग्स ट्रेंड करने लगे।
लोगों ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा —
“सलाम है इस जोड़ी को, जिन्होंने मौत के बाद भी ज़िंदगी देने का फैसला लिया!”
निष्कर्ष: जीवन का सबसे बड़ा उपहार
रितेश देशमुख और जेनेलिया डिसूज़ा ने यह साबित कर दिया कि असली हीरो वही होता है, जो पर्दे के बाहर भी समाज के लिए उदाहरण बन सके।
उनका यह फैसला केवल व्यक्तिगत नहीं है, यह एक सामूहिक प्रेरणा है — जो भारत जैसे देश में अंगदान को लेकर मानसिकता बदलने में मदद करेगा।
क्या हम भी कुछ ऐसा कर सकते हैं?
एक पल ठहरिए और सोचिए —
अगर हमारे जाने के बाद कोई ज़िंदा रह सके, तो क्या हम यह मौका किसी को देना नहीं चाहेंगे?
अंगदान — एक संकल्प, एक सेवा, और एक जीवन।