IPS Sanjukta Parashar: Assam’s Iron Lady

By | May 21, 2025
IPS Sanjukta Parashar: Assam's Iron Lady

“लोहे की तरह मजबूत, दिल से माँ – ये हैं असम की ‘आयरन लेडी’ IPS संजुक्ता पराशर”

“एक हाथ में बंदूक, दूसरे में ममता — जब वर्दी पहनती है एक औरत, तो इतिहास बदलता है।”

भारत की ज़मीन ने कई वीर सपूतों को जन्म दिया है, लेकिन कुछ नाम ऐसे होते हैं जो सिर्फ वीरता की मिसाल नहीं, बल्कि समाज की सोच को नई दिशा देने वाले होते हैं। ऐसी ही एक नाम हैं IPS संजुक्ता पराशर — जिन्हें आज “असम की आयरन लेडी” के नाम से जाना जाता है।

🌟 अकादमिक उत्कृष्टता से देशभक्ति तक का सफर

असम की रहने वाली संजुक्ता ने बचपन से ही पढ़ाई में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर जेएनयू (JNU) से इंटरनेशनल रिलेशन में पीएचडी की। जहाँ वह विदेश नीति, ग्लोबल इश्यूज़ और शोध कार्यों में अपना भविष्य बना सकती थीं, वहीं उन्होंने आरामदायक करियर को छोड़कर IPS बनने का कठिन रास्ता चुना

उनका चयन 2006 बैच की भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में हुआ। लेकिन यह शुरुआत थी उस रास्ते की, जहाँ उन्हें चुनौतियाँ ही चुनौतियाँ मिलनी थीं।

🔥 उग्रवादियों के खिलाफ खड़ी एक अकेली महिला

IPS संजुक्ता पराशर को उनकी पहली पोस्टिंग मिली असम के उग्रवाद प्रभावित इलाकों में। वहाँ उन्हें सिर्फ प्रशासन नहीं, बल्कि सीधे जमीनी कार्रवाई का नेतृत्व करना पड़ा।

  • उन्होंने 150 से ज़्यादा उग्रवादियों को गिरफ्तार किया।
  • कई एनकाउंटर ऑपरेशनों का नेतृत्व किया।
  • संजुक्ता खुद AK-47 लिए उग्रवादियों के अड्डों तक पहुँचती थीं — और बिना किसी डर के उन्हें मुंहतोड़ जवाब देती थीं।

जहाँ एक तरफ आतंक की जड़ें मजबूत होती जा रही थीं, वहीं एक अकेली महिला अफसर उन जड़ों को काट रही थी — पूरे आत्मविश्वास और साहस के साथ।

👩‍👦 IPS अफसर और माँ — दोनों किरदारों में नायिका

एक पुलिस अफसर होना आसान नहीं होता — और एक माँ होना उससे भी बड़ा ज़िम्मेदारी का काम है। लेकिन संजुक्ता ने दोनों भूमिकाओं को समान रूप से निभाया। वे ऑपरेशनों के बीच अपने बच्चे को भी संभालती थीं। वर्दी के पीछे उनका दिल भी एक माँ का ही था।

उनका मानना है:
“अगर औरत को अवसर मिले, तो वो सिर्फ बदलाव नहीं लाती, बल्कि परंपरा को भी तोड़ देती है।”

🫡 रियल लाइफ हीरो — जो हर लड़की के लिए प्रेरणा है

IPS संजुक्ता पराशर की कहानी सिर्फ एक महिला अधिकारी की नहीं, बल्कि उस सोच की है जो कहती है कि औरत को कमज़ोर समझना सबसे बड़ी भूल है। उन्होंने ये साबित कर दिखाया कि साहस, समर्पण और देशभक्ति का कोई जेंडर नहीं होता


👉 अगर आप भी संजुक्ता पराशर को सलाम करते हैं, तो कमेंट करें — ‘जय हिन्द’ 🇮🇳

❤️ उनकी कहानी को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाएँ — ताकि देश को उसके असली हीरो याद रहें।

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