Pushpa Priya: The Woman Behind 1000+ Exams for the Blind

By | May 21, 2025
pushpa priya

“एक बस, एक हां और 1086 परीक्षाएं – पुष्पा प्रिया की सेवा भावना की अनकही कहानी”

“मैं पैसों से मदद नहीं कर सकती थी, लेकिन मैंने अपना समय, मेहनत और पेन देना शुरू किया।”
– पुष्पा प्रिया

कभी-कभी ज़िंदगी में एक छोटा-सा फैसला हमारी पूरी दिशा ही बदल देता है। ऐसा ही कुछ हुआ साल 2007 में, जब बेंगलुरु की एक आम लड़की ने बस में चढ़ने का फैसला किया — और वो सफर किसी मंज़िल तक नहीं, बल्कि मानवता की मिसाल बनने की ओर चल पड़ा।

🚌 जब एक बस की सवारी बन गई जीवन का मिशन

साल 2007 का एक सामान्य दिन था। पुष्पा प्रिया, जो तब एक साधारण युवा थीं, बेंगलुरु की सड़कों पर चलने के बजाय बस में बैठीं। उसी बस में एक दृष्टिबाधित छात्र ने उतरने से पहले उनसे एक सवाल पूछा —
“क्या आप मेरी परीक्षा की स्क्राइब बनेंगी?”

पुष्पा ने बिना पल भर रुके कहा, “हाँ।”
और यही ‘हाँ’ बन गई सच्ची सेवा की शुरुआत।

👩‍👧 संघर्षों में पली, संवेदनाओं में ढली

पुष्पा के जीवन में पहले से ही कठिनाइयाँ थीं। उनके पिता एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो चुके थे, और परिवार पर ज़िम्मेदारियाँ थीं। लेकिन उन्होंने कभी अपने हालात को बहाना नहीं बनने दिया। उन्होंने कहा:
“मैं पैसों से किसी की मदद नहीं कर सकती थी, लेकिन मैंने अपना वक्त देना शुरू किया।”

✍️ 1086 से ज़्यादा परीक्षाएं, वो भी निःशुल्क

16 वर्षों में पुष्पा ने जो किया, वो असाधारण है:

  • उन्होंने अब तक 1086 से भी अधिक परीक्षाएं लिखी हैं।
  • स्कूल से लेकर UPSC और PhD की परीक्षाएं।
  • कन्नड़, हिंदी, अंग्रेज़ी, तमिल और तेलुगु जैसी कई भाषाओं में।
  • हर परीक्षा बिल्कुल मुफ्त, न किसी फीस, न किसी शर्त पर।

उनकी लिखावट से कई छात्रों को डिग्री मिली, नौकरी मिली, और आत्मविश्वास भी

🏆 सम्मान से ज्यादा संतोष

पुष्पा को 2019 में भारत सरकार द्वारा ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
लेकिन उनके लिए असली पुरस्कार क्या है?
वो कहती हैं:
“हर एग्जाम हॉल अब मेरा दूसरा घर बन गया है। अगर मेरी लिखावट किसी की ज़िंदगी बना रही है, तो वही मेरी सबसे बड़ी जीत है।”

💼 फुल-टाइम जॉब + फुल-टाइम सेवा

आज भी पुष्पा एक प्राइवेट ऑफिस में फुल-टाइम काम करती हैं। लेकिन जब भी किसी जरूरतमंद छात्र को स्क्राइब की ज़रूरत होती है, उनके ऑफिस वाले उन्हें खुशी से छुट्टी देते हैं।
ये दिखाता है कि जब इरादा नेक हो, तो राहें खुद-ब-खुद बनती जाती हैं।


❤️ पुष्पा प्रिया की कहानी सिर्फ सेवा की नहीं है — ये उस भारत की पहचान है जहाँ आज भी इंसानियत ज़िंदा है।

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